मुख़बिर - 25

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मुख़बिर राजनारायण बोहरे (25) कारसदेव मैने अनुभव किया था कि बीहड़ में हम जिस भी गांव के पास से निकलते हरेक ज्यादातर गांवों के बाहर एक चतूबतरा जरूर बना होता । कृपाराम पूरी श्रद्धा से उस चतूतरे पर सिर जमीन पर रखकर प्रणाम करता । मुझ लगातार यह उत्सुकता रहने लगी कि इस जैसा हिंसक आदमी कौन से देवता को इतना मानता है, किसी दिन पूछेंगे । एक दिन मौका देख कर मैंने पूछा तो कृपाराम ने बताया-ये हम ग्वाल बालों के देवता हीरामन कारसदेव है । ’इनकी कथा हमने कहीं सुनी नहीं, दाऊ किसी दिन सुनाओ न !‘मेरी उत्सुकता