अह्सास हरि से मिलने से पूर्व आत्मिक सुख क्या होता है ये दिवंगत पिता से मैंने पाया था पर किसी को याद करके खुश होने का अह्सास हरि ने मुझे दिया l. हरि के अतिरिक्त मुझे कभी किसी ने नहीं पूछा कि 'पिंकी तुम्हारी तबीयत कैसी है? दिनभर दर्द से परेशान रहती, किसी को मेरे दर्द या मुझसे मतलब न था l घर का सूनापन खाने को आता l पैर वास्तव में भारी था