इस दश्‍त में एक शहर था - 8

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इस दश्‍त में एक शहर था अमिताभ मिश्र (8) अब सिलसिले आगे बढ़ा कर बात करें तो बात आती है गणपति भैया यानि गन्नू भैया की। जो बचपन से ही पहलवान होना चाह रहे थे आसपास के अखाड़ों की मिट्टी से उनका परिचय था। वे सीखने के दौर में हर तरह के दांव सीख रहे थे। उनको पहलवानी में कुछ नायाब से दांव आते थे जिन्हें उन्होंने पहलवान से सीखा था। तो बात नायाब दांवों की चली थी तो एक दांव जिसे चपरास कहा जाता था जो बेहद दर्षनीय, प्रभावी और मारक होता था। किन्तु उसको आजमाने के लिए घनघोर