कौन दिलों की जाने! - 11

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कौन दिलों की जाने! ग्यारह आलोक की कोशिश होती है कि जब तक कोई विवशता न हो, समय की पाबन्दी का ख्याल जरूर रखा जाये। पच्चीस तारीख को ठीक ग्यारह बजे उसने रानी के घर की डोरबेल बजाई। रानी ने दरवाज़ा खोला और ‘आइये' कह कर स्वागत किया। चाय पीने के बाद दोनों ने रसोई का रुख किया। रानी ने छौंक के लिये प्याज़, लहसुन, टमाटर, अदरक, धनिया पहले ही से तैयार कर रखा था। सब्जी कौन—सी बनेगी — गाजर—मटर या मटर—पनीर का फैसला आलोक की पसन्द के अनुसार होना था। मटर के दाने निकाले हुए थे। गाजर—मटर बनाने का