अजाब सिंह को जी तोड़ मेहनत करने के बाद ज्ञान चंद का पता चलता हैँ | अजाब को ज्ञान चंद से भारी उम्मीदे थी उसको लगता था यही एक मात्र कड़ी हैँ | जो इस पहेली को सुलझा सकती हैँ |मगर वहाँ पहुँच कर पता चला, के दो वर्ष पूर्व ही सेठ ज्ञान चंद का स्वर्ग वास हो गया हैँ | इस दुखद समाचार ने अजाब को काफ़ी निराश कर दिया था, किन्तु इस निराशा के अंधकार मे भी अजाब को एक आशा की लौ नज़र आ गई, जिस प्रकार से डूबते को तिनके का सहारा होता हैँ | ठीक उसी प्रकार से