ठौर ठिकाना - 3 - अंतिम भाग

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ठौर ठिकाना (3) सिर्फ रमा आंटी ही नहीं यहाँ रहने वाला कोई भी सदस्य कभी अपनों के बारे में कुछ नहीं कहता लेकिन उनकी पीड़ा उनके मौन में, उनकी आँखों में साफ़ झलकती उन आँखों कभी न आने वालों का इंतजार दिखता. दया माँ को उनके नाती यहाँ छोड़ गये, बेटी दामाद की एक्सीडेंट में मृत्यु के बाद जिन दो नन्हे बच्चों को कलेज़े से लगा कर पाला था, अपने बुढापे के लिये संजोई सारी पूंजी और पति का बनवाया घर बेंच कर जिन्हें पढाया लिखाया शादी ब्याह किया. उन्होंने ही नानी को ओल्डहोम में पहुंचा कर अपने कर्तव्यों की