माँ... तुम मेरी आदर्श नहीं हो

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माँ तुम मेरी आदर्श नहीं हो... मेरी प्रेणना हो..... बात जरा सी आप लोगों को खल रही होंगी की कोई बेटी अपनी ही माँ को ऐसा कैसे और क्यूँ बोल सकती हैं. हर बात में गंभीरता और गहराई छुपी होती हैं. मेरी बातो को भी जानने के लिए पहले मेरे जीवन के उन तथ्यों को जाना भी जरूरी हैं जिसके आधार में मैंने अपना विचार रखा। बात जब मेरे विचारों की हैं तो मेरे बारे में जानना आवश्यक हो जाता हैं और मेरे बारे में शुरुआत मेरी माँ से ही तो होती हैं। माँ दुनियां दुनियां का सबसे प्यारा