हाडी राणी

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हुकम, अब तो पलंग छोड़ो | बाहर पधारो | सासुजी मेरे को कह रहे है तुमने मेरे बेटे को आलसी बना दिया | ये तो सूर्योदय पूर्व उठ कर काम पर लग जाने वाला था | अब बींदणी का पल्लू ही नहीं छोड़ता | बाहर आसमान में कोई दो पुरस सूरज चढ़ आया है | धूप सलूम्बर के रावले ( ठाकुर सा का घर ) को चूमने लगी है | धूप को दीवारों से प्रेम होगा | हमें तो आपसे है आपको चूमेंगे | कहकर युवा ठाकुर सा मुस्करा दिए | इशारा समझते ही उस सौन्दर्य की देवी ने भाग