एक जिंदगी - दो चाहतें - 29

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एक जिंदगी - दो चाहतें विनीता राहुरीकर अध्याय-29 खाना खाने के बाद सब लोग वापस ड्राईंगरूम में बैठ गये और फिर से गप्पे मारने का दौर शुरू हो गया। भरत भाई और शारदा बहुत कम बातें कर रहे थे लेकिन दोनों के चेहरे जिस तरह से प्रसन्न दिख रहे थे उन्हें देखकर साफ पता चल रहा था कि दोनों के दिल आज अंदर से कितने खुश हैं। बातों में ही जब रात के बारह बज गये तो तनु और उसकी बुआ सबके लिये गरमागरम कॉफी बना लाईं। रात डेढ़ बजे सब लोग उठकर सोने की तैयारी करने लगे तो आकाश