सत्या - 17

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सत्या 17 शराब के नशे में लड़खड़ाता शंकर चला जा रहा था. अपनी गली में मुड़ते ही उसने सविता को घर के बाहर औरतों से घिरा हुआ देखा. उसे गुस्सा आने लगा. रोज़ जब लौटो तो औरतों की महफिल. सबको चहकते देखकर उसका गुस्सा और भी भड़क गया. पास पहुँचकर वह चिल्लाने लगा, “क्या हो रहा है यहाँ? इन पँचफोड़नियों के साथ क्या चक्कल्लस होता रहता है दिनभर?... चलो, जाओ सब अपने-अपने घर.” शंकर ने गेट खोली. लेकिन नशे में लड़खड़ाकर गेट पर झूल गया. औरतें जल्दी-जल्दी वहाँ से खिसकने लगीं. घर के अंदर सत्या दोनों बच्चों को पढ़ा रहा