"आज आपकी पुण्यतिथि,फिर वही रिश्तेदारों के फोन,वही गम में शरीक होने के ढोंग,थक चुकी हूँ इन सबसे अब ये बोझ नही उठाया जाता।"निखिल की तस्वीर को निहारती हुई नेहा बुदबुदाती जा रही थी। "एक पल ऐसा नही गुजरा जब आपको साथ नही महसूस किया। हारने नही दिया आपने मुझे, मेरा संबल बनकर खड़े रहे हमेशा मेरे साथ।म्रत्यु पर किसका जोर चला है जो मैं चला पाती।" अचानक ही हुए हादसे ने नेहा की जिंदगी बदल कर रख दी। व्यवस्थित ढंग से जिंदगी जीने वाला एक दिन उसको अव्यवस्थित करके सदा के लिए गायब हो गया। अल्हड़ नादाँ थी