देस बिराना किस्त नौ समझ में नहीं आ रहा, किन झमेलों में फंस गया हूं। जब तक घर नहीं गया था, वे सब मेरी दुनिया में कहीं थे ही नहीं, लेकिन एक बार सामने आ जाने के बाद मेरे लिए यह बहुत ही मुश्किल हो गया है कि उन्हें अपनी स्मृतियों से पूरी तरह से निकाल फेंकूं। हो ही नहीं पाता ये सब। वहां मुझे हफ्ता भर भी चैन से नहीं रहने दिया और जब वहां से भाग कर यहां आ गया हूं तो भी मुक्ति नहीं है मेरी। अलका दीदी मेरी परेशानियां समझती हैं लेकिन जब मेरे ही पास