राहबाज - 8

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निम्मी की राह्गिरी (8) मैं प्यार हूँ मैं ठन्डे पानी से नहाती हूँ हर रोज़. पानी की धार तेज़ी के साथ मेरे सामने रखी बाल्टी को भर रही है. मैं मग भर-भर कर खुद पर डालती चली जाती हूँ. बदन भीग गया है. अब मैंने साबुन से खुद को मसलना रगड़ना शुरू कर दिया है. साबुन का झाग अपनी तमाम रवानगी और खुशबु के साथ मुझे भीतर तक भिगो रहा है. मैं लगातार साबुन लगाये जा रही हूँ. शावर से बहता पानी मुझे भिगोता हुया मेरे बदन से झाग को बहाता मुझे और ठंडा किये जा रहा है. मेरे नथुने