दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 12

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 12-प्रेम-पत्र नंदिता ने ऐसे घर में जन्म लिया था जहाँ हर बात पर, हर काम पर कंट्रोल का ताला लगा रहता | आज के ज़माने में भी इतना कंट्रोल ! न कहीं आना, न जाना ---बस --पापा का राज ! ठीक है, ज़माने को देखते हुए ज़रूरी भी है पर युवास्था में किसी न किसीकी ओर आकर्षण हो ही जाता है | स्वाभाविक भी है, आकर्षण न हो तो अस्वभाविक ! नंदिता भी अपने सहपाठी स्वराज की ओर आकर्षित हो गई | आकर्षण ऐसा बढ़ा कि प्रेम-पत्रों का आदान-प्रदान होने लगा | नंदिता को वह