भगवान की भूल प्रदीप श्रीवास्तव भाग-8 एक बार फिर भाद्रपद महीना पितृपक्ष ले कर आ गया। माता-पिता को श्राद्ध देने पिंडदान देने का वक्त। मैं हर साल यह सब पहली बार की तरह करती आ रही थी। हर बार वही रस्म निभाती थी। लेकिन मैं यह सब रस्म समझ कर नहीं, इस यकीन के साथ करती थी कि भगवान की भूल को इस पृथ्वी पर लाने वाले मेरे पूज्य माता-पिता को यह सब मिलता होगा। वह ऊपर से देख रहे होंगे कि उनकी तनु किसी की मोहताज नहीं है। बौनी है, मगर उसके इरादे और काम बहुत ऊंचे हैं। और