मुख़बिर राजनारायण बोहरे (16) बारात गांव और कुटुम के हर ब्याह में वह नमक और पानी परोसता है, लेकिन आज काका ने उसे अपने खुद के ब्याह में परोसाई ते दूर रही, घर से बाहर निकलने पर भी रोक लगा दी है । सारे बदन में थोपी हुई हल्दी से हर पल एक अजीब सी गंध निकलती है, ऊपर से वक्त-वेवक्त कम्बल लपेटना पड़ता है तो पसीना के फौबारे छूट जाते है। कांधे से कमर तक लटकी कटार और उसकी पट्टी अलग कंघे से लेकर कमर तक चुभती है । देर रात उसे एक पत्तल में खाना मिला तो उसने