एक जिंदगी - दो चाहतें - 25

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एक जिंदगी - दो चाहतें विनीता राहुरीकर अध्याय-25 पूरे बगीचे में परम और तनु के मनपसंद पेड़-पौधे लग चुके थे। बगीचे के एक कोने में पत्थर की फर्शी पर परम ने मिट्टी के एक सकोरे में पानी रख दिया और रोज सुबह होते ही चिडिय़ों को बाजरा डालने लगा। रोज दोनों चिडिय़ों का कलरव सुनते हुए अपने छोटे से बगीचे में बैठ कर सुबह की चाय पीते। आस-पास के दो-तीन परिवारों से परम और तनु ने पहचान कर ली थी। अभी दोनों चाय पी ही रहे थे कि भरत भाई का फोन आया वो तनु से पूछ रहे थे कि