दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 9

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 9-बुलबुल पता नहीं कब, कैसे उसने क्यारियों में छिपकर बच्चे दे दिए वैसे ही परेशान थे सड़क के कुत्तों से ! सड़क पर खड़ी गाड़ियों पर बड़ी शान से वे बैठे रहते, जब उनका मन होता तब खड़ाक से बँगलों के अंदर कूद जाते पता तो तब चलता जब अंदर कहीं गंदा कर जाते या पीछे चौकड़ी में सुबह कामवाली के इंतज़ार में प्रतीक्षा करते बर्तनों से गुफ़्तगू करने पहुँच जाते इनमें से ही कोई होगी जिसने क्यारी में बच्चे दिए और अगली सुबह नौकर के घंटी बजाने पर पूरा दम लगाकर उसने उसे भागने पर