. दादी का ये नया रूप देख रही थी नीलू. अब तक तो पूरी दबंगई से बोलते और दमदारी से सारे काम करवाते देखा था उन्हें, लेकिन किसी ग़लत बात पर वे चुप भी रह सकती हैं, ये नहीं मालूम था नीलू को. अच्छा नहीं लगा था उसे. दादी पर दबंगई ही जमती है. अगले दिन दादी खुद उसे लेकर उसकी ससुराल गयी थीं. हां, उन्होंने सास के कहे अनुसार केवल नीलू को ’घुमाने’ ले जाने का ही प्लान बनाया था. गौरी भी साथ थी, लेकिन उसे बड़ीबाईसाब ने सख्त ताकीद किया था कि वो अपना मुंह न खोले. कितनी