दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 8

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 8-दावत कितना बड़ा जश्न हुआ अनिरुद्ध के बेटा होने पर ! सभी के मुख पर मुस्कान और देह पर सिल्क के लिबास सजे थे | बहू के साथ कूँआ पूजने पर बाजा-गाजा साथ चला | "बड़ी किस्मत वाली है बहू ---पहले साल में ही बेटा पैदा करके सबके जी में उतर गई --" " यार, ये सब क्या है माँ ?" अनिरुद्ध बहुत असहज था | बेटा हुआ है तो छोटी-मोटी पार्टी कर लो, इतना दिखावा करने की आखिर क्या ज़रुरत?उसकी पत्नी स्मिता के भी विचार अपने पति जैसे ही थे पर परिवार के बुज़ुर्ग सदस्यों