आज सुबह से चारों ओर कोहरा छाया हुआ था मंदिर के सामने फैले बड़े से उद्यान के एक शेड के नीचे वे शांत बैठे कुछ सोच रहे थे तभी एक दो लोग मंदिर की सीढ़ियों से उतर कर सीधे उनके पास चले आए और उनकी ओर जिज्ञासा से देखने लगे । एक सज्जन कहा ,,, महाराज ज्ञान आखिर है क्या ? क्या तथ्यों को दिमाग मे भर लेना ज्ञान है ? क्या किसी किताब को रट लेना ज्ञान है ? उनके सवालों को ध्यान से सुनकर उन्होंने बोलना शुरू किया । ....वस्तुतः ज्ञान असीमता को जान लेना है । संस्था,शास्त्र