सत्या 13 सत्या की ज़िंदगी फिर से पटरी पर आ गई लगती थी. मीरा घर लौट आई थी. उस दिन सविता गुस्से में जितना खूँखार लग रही थी, अब उतनी ही बड़ी हमदर्द बनी हुई थी. उसी की सेवा और हिम्मत आफज़ाई का नतीज़ा था कि मीरा बिस्तर से उठकर अब घर का काम करने लगी थी. सत्या के मन में अब एक नया ज़ुनून सवार था. बच्चों को शहर के सबसे अच्छे स्कूल में दाख़िला दिलाने का, ताकि अच्छी शिक्षा प्राप्त कर दोनों बच्चे बड़ा अफसर बन सकें और गोपी का सपना पूरा हो सके. अपने साहब से सिफारिश