मेरा गाँव कहीं खो गया सुंदर ताल, तलैया, बाग,सरोवर, बीच बसा था गाँव मनोहर। हर जाति के लोग बसे थे, बंटे हुए थे सबके काम। सब दिन भर मेहनत करते, रात में करते थे आराम, खेती करता था किसान, सब मिलकर हाथ बंटाते थे, फसल पकी जब खेत में उसके, सब मिलकर कटवाते थे। फसल उठाने से पहले देवी का भोग लगाते थे। फिर सब आपस में बाँट कर, अपना हिस्सा ले जाते थे। परिवार पालते उसी खेती से, जिसमे सब लग जाते थे, रोजगार की कमी नहीं थी, सब हाथों को मिलता काम, बड़ा मनोहर होता था सवेरा,