चाँदनी से तुम हसीनन देखा तुमसा कहीं,खोयी मेरी रूह कहीं देख कर तुम्हे ये लगता, चाँदनी से तुम हसीन ख्वाबी आँखे मेरी, भूल ना पायी तुम्हे कभी मैं अँधेरी रात तो, चाँदनी से तुम हसीन रोको ना हमें यूँ , तकते तुम्हे हम न थके कभी नयनों को सुहाए तुम, लगे चाँदनी से तुम हसीन लगे प्यार तुम्हारा मुझे, जैसे मिला अमृत कहीं चाँदनी लगती है फीकी, चाँदनी से तुम हसीन न झुठ है मेरे अल्फाज, लिखा वही जो है सही तेरे नाम की चमक है कहती, चाँदनी से तुम हसीन क्या लिखुँ तेरे लिये, जज्बातों की नही कमी शायर मन बस यही गाए, चाँदनी से तुम हसीन क्यों एेसा होता हैं?क्यों