जीवन पर 8 कविताएँ

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दुनिया इतनी सरल नही दुनिया इतनी सरल नही जो नज़र आये अक्सर नए राही को दूर के ही डोल सुहाए बड़ो की बातों का अब वो सम्मान रहा कहाँउल्टी ज़ुबाँ कैंची जैसी, माँ-बाप को सिखाएदर्द तो होगा ही जब मारोगे पैर पे अपने कुल्हाड़ीज़िद में रहते अपनी धुन में सही राह कैसे दिखाएनही है कोई मार्ग लघू , ऊँची चट्टानों पे चढ़ने काअड़ियल बुद्धि ठोकर खाकर, वापिस लौट आये जोश-उमंग है भरी कूट कूट कर जो अंदर तकतोड़ हैं देती जर्रा जर्रा कठिन स्थिती जब आये लगी है ठोकर जब , मुँह के बल गिर कर चले आयेखुद ही इतने जानिसकार थे तो कौन तुम्हे