राहबाज - 1

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मेरी राह्गिरी (1) शुरुआत मैंने वक़्त की धार में एक पैर छुआ कर देखा था और मेरा पैर दहक गया था बुरी तरह. ये नदी मेरी ख्वाहिशों ने गढ़ी थी. मैं नींद में डूबा बेखबर ख्वाबों से हार कर सोने और जागने के बीच तैर और डूब रहा था. मेरी ख्वाहिशें दिन पर दिन हाथ पैर चलाती जवान और फिर बूढ़ी होती जा रही थी. मैंने सोच लिया था कि जिन लोगों ने मेरे हाथ पैर बांध कर मुझे लाचार कर छोड़ा है उनकी एक न चलने दूंगा. मैं जानता हूँ मेरे पूरे परिवार की उम्मीदें मुझ पर टिकी हुयी