मिलके बिछड़ गए दिन !दादर में एक दिन एक कार्यक्रम था। किशन कुमार केन मुझसे बोले- आपको साथ में लेकर चलूंगा।किशन कुमार केन उन दिनों मुंबई में एक प्रिंटिंग प्रेस चलाते थे और अरविंद जी के पास कथाबिंब के ऑफिस में कभी - कभी आया करते थे। वहीं उनसे मुलाक़ात होती पर वो किसी न किसी साहित्यिक बहस में उलझा कर मुझे नज़दीक के एक बीयर बार में ले जाते। और फ़िर हमारी बहस का फ़ैसला इस बात से होता कि बिल कौन देगा। मैं दूं,तो बात मेरे पक्ष में जाती और यदि वो दें,तो फ़िर वो अपनी कह कर