यह कहानी एक स्त्री की कहानी है। वह स्त्री जो अपने घर परिवार के लिए अपना सारा जीवन होम कर देती है और बदले में क्या पाती है अपमान तरिस्कार न जाने क्या कुछ झेलकर खुद को बार बार समेट कर उसके हाथ यदि कुछ लगता है तो वह होता है केवल बिखराव जिसका दर्द उसकी आँखों से आँसू बनकर बहता है और लोग उसे दिखावा समझकर उसके उन अश्रुओं का मजाक उड़ाते है। उसे कमजोर बताते है। जबकि वास्तविकता में घर की वही स्त्री उस घर की नींव सिद्ध होती है। मगर अफसोस कि जब तक उसकी सिद्धि का वो