सत्या 11 दीवार घड़ी में दिन के बारह बजने में कुछ क्षण शेष थे और वार्ड के प्रवेष द्वार पर लोगों की धक्का-मुक्की बढ़ गई थी. जैसे ही मिनट की सुई 12 पर पहुँची, गेट खुली. लोग सत्या को धकियाते हुए अंदर जाने लगे. सत्या भी भीड़ के साथ वार्ड में आया. मीरा के पास गोमती खड़ी उसके बालों में कंधी कर रही थी. सत्या ने पूछा, “कैसी तबियत है अभी?” और फलों का पैकेट गोमती को दिया. गोमती, “ये तो कुछ खाता ही नहीं है.” सत्या “मीरा जी. खाना तो होगा. जल्दी से ठीक होकर घर चलना है. रोहन