शौर्य गाथाएँ - 2

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( लांस नायक रमेश खजुरिया – शौर्य चक्र ) रमेश से मेरी पहचान उस सैनिक छावनी में जाने के एक दो दिन बाद ही हो गयी थी मेरे पति ने जिस दिन भारतीय सेना की विशिष्ट पलटन 1 पैरा स्पैशल फोर्सेस के कमान अधिकारी का कार्य भार सम्भाला, उसी दिन से वो उनकी सिक्योरिटी गार्ड की टीम में नियुक्त हो गया दिन भर जब मेरे पति ऑफिस होते तो उसकी ड्यूटी भी वहीं होती और जब वे घर आते तो उनकी गाड़ी में भी उनकी सुरक्षा हेतु वह हमारे घर तक आता था वैसे शांतिकाल में सैनिक छावनियों में सुरक्षा की कोई आवश्यकता तो नहीं होती लेकिन पुराने नियमों के अनुसार अभी तक ऐसा ही चल रहा था