जीवनसंध्या

  • 3.7k
  • 969

'पापा, डाइनिंग रूम में आजाओ, आपका नाश्ता लग गया है. सबके साथ नाश्ता करलो, नहीं तो बाद में कहोगे, मुझे किसी ने नाश्ते के लिए नहीं बुलाया,' वर्मा साहब की सबसे बड़ी बहू मन्नत ने अपने वृद्ध ससुर को तेज आवाज में कहा. 'क्या बेटा, क्या कहा, श्लोक को स्कूल से ले आऊँ? ठीक है, ले आता हूँ', चेहरे पर विकट बेचारगी के भाव लाते हुए वर्माजी सोफ़े से उठने की कष्टप्रद कवायद करने ही वाले थे, लेकिन यूं अपना कहा गलत सुनने पर मन्नत की सहनशीलता जवाब दे गई और लगभग चीखते हुए कर्कश स्वर में उसने फिर