एक जिंदगी - दो चाहतें - 17

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परम छुट्टी खत्म होने के तीन दिन पहले ही जयपुर चला आया। वाणी को घर पहुँचाया एक बैग में दो जोड़ी कपड़े रखे और हेडक्वार्टर जाने का बहाना बना कर अहमदाबाद चला आया। तनु की बेतरह याद आने लगी थी। एक रेस्टॉरेन्ट में देर तक वह तनु का हाथ अपने हाथ में थामकर अपनी आँखों से लगाए बैठा रहा। तनु उसके सिर पर हाथ फेरती रही। इतनी परेशानियों के बीच भी उसके चेहरे पर एक सजह मुस्कान थी।