बर्फ अभी पड़ रही थी। सुशांत को लगा कि सवेरा बहुत जल्दी हो गया। प्रोफेसर तारीकबी मेज पर झुके कुछ पढ़ रहे थे। सबरीना अंदर के कमरे में मौजूद पलंग पर सो रही थी। सुशांत को याद आया कि रात में उन्होंने मेज से बर्तन भी नहीं उठाए थे, सुबह प्रोफेसर तारीकबी ने ही बर्तनों को साफ किया था। सुशांत के उठने की आवाज सुनकर प्रोफेसर तारीकबी फिर चहकने लगे।