परम फिर कभी ऑफिशियल काम से या कभी अपना व्यक्तिगत काम बताकर पन्द्रह दिन या महीने में एखाद बार तनु की सुविधा देखकर अहमदाबाद आ जाता। दोनों दिन भर साथ रहते, घूमते, मंदिर जाते और शाम को परम वापस लौट जाता। उन्हीं दिनों वाणी जिद करके परम के पास रहने आ गयी थी। पहाड़ों पर तो उसे बैरक में रहना पड़ता था लेकिन जयपुर में उसे क्वार्टर मिला था तो वाणी ने जिद ठान ली साथ चलने की।