दुर्घटना संध्या समय की चंचलता अपने मोहक वातावरण मे सूर्य की लाली संग एक अद्धभुत नजारे मे ढल रही हैँ इस समय एक खामोश सडक पर सुभाष अपनी मंजिल की ओर बेखौफ बड़े जा रहा हैँ वो अपनी गाड़ी मे अपनी ही धुन मे मग्न था और उसकी तेज रफ़्तार उसका जोश बढ़ाए जा रही थी सड़क के दोनों छोरो पर दूर तक फैला घना जंगल समय से पहले ही अंधकार मे डूबा हुआ मालूम हो रहा था अचानक सुभाष को एक सुन्दर कोमल युवती दिखी वो सुंदरी एक विशाल वृक्ष से टेक लगा