‘आप चिंता न करो। हमारे प्रोफेसर तारीकबी ने दुनिया देखी है। वे हिन्दुस्तानी रहन-सहन और खाने-पीने को बहुत अच्छी तरह जानते हैं। आपको सब कुछ तैयार मिलेगा। वो माहिर कुक हैं। वे सोवियत राज की आखिरी इंसानी पीढ़ी के नुमाइंदे हैं। हर चीज में परफेक्ट। अब, देखना आप चलकर।’ सबरीना की इन बातों से भूख के अहसास में कोई कमी नहीं आई। पर, सुशांत के दिमाग में जो घूम रहा था, वो उसका जवाब चाहता था।