राजेंद्र जी कमरे में अकेले बैठे एकटक दीवार पर लगी ताजमहल की तस्वीर को निहार रहे थे। उन्हें याद है जब सुदेश ने एक बार बड़े प्यार से कहा था कि "चलो ना ताजमहल चलते हैं। मेरी उसे देखने की बड़ी इच्छा है। आज तक मैं आपके साथ कहीं बाहर नहीं गई।" उसकी बात सुन वह हंसते हुए बोले "बस इतनी सी बात !यह इच्छा तो मैं तुम्हारी एक-दो दिन में ही पूरी कर दूंगा।" सुनकर कितनी खुश हो गई थी वह। उसकी खुशी देखते ही बनती थी। अगले दिन शाम को वह बड़ी सी पेंटिंग लेकर आए। उसे देख