बड़ी बाई साब - 9

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0 0 नीलू को विदा कर लौटे रोहन का तमतमाया चेहरा सुनन्दा जी को बार-बार याद आ रहा था. सुनंदा जी यानि बड़ी बाईसाब, सौ एकड़ उपजाऊ ज़मीन, पचास एकड़ प्लॉटिंग की गयी बंजर ज़मीन, पन्द्रह कमरों, और दो दालानों वाली इस तीन मंज़िला हवेली, मुख्यमार्ग पर स्थित तीस दुकानों और उन दुकानों पर बने पन्द्रह मकानों की एकछत्र मालकिन, जिन्हें लगता था कि पैसे की दम पर वे कुछ भी कर सकती हैं, आज परेशान दिखाई दे रही हैं. उनका गोरा चेहरा गुस्से और अपमान से लाल पड़ गया है. चिन्ता के कारण कभी-कभी लाल रंग पीली आभा