ये कैसे हुआ

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"ये कैसे हुआ" (व्यंग्य)फ़ांका मस्ती ही हम गरीबों की विमल देखभाल करती हैएक सर्कस लगा है भारत में जिसमें कुर्सी कमाल करती है "।उस्ताद शायर सुरेंद्र विमल ने जब ये पंक्तियां कहीं थी तब उन्होंने शायद ये अंदाज़ा लगा लिया था कि इस देश की जनता की साथी उसकी फांकाकशी ही रहने वाली है ।वी द पीपुल तो हमें जनता जनार्दन बनाती है ,लेकिन ये जनता जनार्दन एक हद तक ही उम्मीद पाल सकती है ,क्योंकि आगे की इबारत तो वही लोग लिखेंगे जो लिखते आये हैं।आप करते रहिये लोकतंत्र में लोक के मन की बात।कहते हैं कि लोकतंत्र ने उस विचारधारा