सत्या - 5

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सत्या 5 सत्या बस्ती की गलियों में चला जा रहा था. मीरा के घर के आगे भीड़ लगी देखकर उसके कदम तेज़ हो गए. पास जाकर उसने भीड़ के पीछे से उचक कर देखने की कोशिश की. एक काला-कलूटा आदमी ऊँची आवाज़ में हाथ लहरा-लहरा कर कह रहा था, “क्या मजाक है, छे महीना का किराया नहीं दिया. घर भी खाली नहीं कर रही है. मेरा तो नुस्कान हो रहा है ना? तुमलोग मेरे बारे में भी तो सोचो. मेरा भी बाल-बच्चा है.” औरतों के बीच खड़ी गोमती ने समझाने वाले अंदाज में कहा, “अरे तभी तो बोल रहे हैं,