भारतीय संस्कृति में क्षमा-दान को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है । प्राचीन वैदिक साहित्य, पौराणिक साहितय में क्षमा कर देना सबसे बड़ा भूषण माना गया है जो क्षमा नहीं कर सकता उसमें मानवता की कमी है । क्षमा मांगना कठिन हो सकता है, मगर क्षमा करना उससे भी कठिन होता है । लेकिन क्षमा कर देने पर जो आत्मिक सुख, मानसिक संतोष मिलता है, वह अनिर्वचनीय है, अनन्त है । क्षमा सभी धर्मों में महत्त्वपूर्ण मानी गई है ।