यह कहानी है सच ,जो सुनाऊं मैं आज इस मंच के माध्यम से आज l खाए धोखे मैंने हजार , लोगों ने ताने मार मार तोरा मेरा आत्मविश्वास l फिर एक शाम आई, गई में गुरुद्वारे की अरदास ,कहां मैंने प्रभु को क्या है गलती मेरी आज l करती हूं सबका भला , तब भी लोग मेरी बातें करते हैं नजरअंदाज , रो रो के मेरी आंख भर आई l मन से निकली एक ही आवाज , नहीं मैं चाहती किसी को बेइज्जत करना ,जैसे किसी ने किया है आज l पर इतनी इज्जत बक्शों मेरे खुदा एक दिन