पिछले अंक में अपने पढ़ा-अब उन लोगों ने हमें बन्धनमुक्त किया। पहनने को वस्त्रादि दिए और सिपाहियों की निगरानी में घूमने फिरने की आज़ादी भी प्रदान की। ...हमारी वापसी की तैयारियां चल रही थीं...अब आगे पढ़ें...-------------------------------नौवा भागबंधनमुक्त किंतु दोषमुक्त नहीइस सारे प्रकरण मे एक बात हमे समझ मे आई कि यहां के सामान्यजन हमसे बहुत प्रभावित लग रहे थे। यह शायद गेरिक की विद्वत्ता पूर्ण वार्तालाप के कारण था। यूं भी, जन सामान्य तो सदैव शान्ति ही चाहता है। यह तो सत्ता की भूख है, जिसके कारण जन साम