प्रकृति मैम- उगा नहीं चंद्रमा

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8. उगा नहीं चंद्रमाजो हुआ, उसका कसूरवार मैं ही रहा।प्रसव के दौरान रक्तचाप बेतहाशा बढ़ गया। आनन- फानन में सिजेरियन डिलीवरी का निर्णय लिया गया। किन्तु कुदरत अपना क्रोध हमारे नसीबों पर छिड़क चुकी थी।डॉक्टरों के दल द्वारा मुझसे पूछा गया कि मां और संतान में से किसी एक को ही बचाया जा सकेगा, मेरी रज़ा क्या है ???संतानें दो थीं। मेरा जवाब सुनने के बाद वो दोनों इस धरा पर किसी एलियन की तरह जिस जहां से आए थे, उसी में लौट गए।तीन दिन के बाद ढेर सारी हिदायतों के साथ मेरी पत्नी को हस्पताल से छुट्टी दे दी