संध्या का मन मोह लेने वाला समय जंगल के वातावरण को बड़ा ही शोभनीय दर्शा रहा हैँ इसी आनंदित करने वाले वातावरण मे एक गरीब चरवाहा आपने पशुओ को जंगल मे चरहा रहा हैँ थोड़ी देर मे उसको कुछ थकान सी महसूस हुई तो एक विशाल प्राचीन वृक्ष के निचे टेक लगा कर वो बैठ जाता हैँबैठते ही उसकी पलकें भारी हो गई जिसके भार को उठाय रखने का वो संघर्षमय असंभव प्रयास करने लगा किन्तु थोड़ी ही देर मे उसका संघर्ष बल तूट गया और पलकों को विजय प्राप्त हुई जब उसकी नींद टूटी तो उसका ह्रदय कांप उठा उसको अपार