सबरीना - 4

  • 8.1k
  • 4.5k

मुसीबतों के हिचकोले खा रहे सुशांत को समझ नहीं आया कि वो अपनी हालत पर रो दे या रेशमी लबादा पहनकर बेहद खुशी का इहजार करे। कुछ घंटों में सब कुछ इतनी तेजी से घटित हुआ था कि वो अभी तक सोते वक्त पहने गए कपड़ों में ही घूम रहा था। उसकी उलझने अभी सुलझी नहीं थी। पर, प्रोफेसर नाजिफ तारीकबी के आने से थोड़ी राहत जरूर महसूस हुई थी। उसके विचार-क्रम को प्रोफेसर तारीकबी ने भंग किया।