कहते हैं की कोई शायर कल्पनाओं के बिना, एक बेहतर शायर नहीं हो सकता , ठीक वैसे ही जैसे एहसासो के बिना को एक आशिक एक अच्छा आशिक नहीं हो सकता ।...हकीकत !इक कल्पना ही तो है जो हमें हर पल मोहब्बत याद दिलाती रहती हैं ...भला कोई तो कहे एक शायर अपने शब्दों को माध्यम बनाकर एक लड़की को गजल का रूप कैसे दे सकता है.. पर यकीनन यह सच है क्योंकि कहते हैं ना मिश्र...! शायर खुद से नहीं लिखता बल्कि कुछ चेहरे ऐसे होते हैं जो उसे कल्पना करने लिए मजबूर करते हैं... ऐसे ही एक चेहरे को