पिता की छाया

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मां ने अगर बच्चे को खाना खाना सिखाया है तो वहीं पर पिता बच्चे को खाना कमाना कर सिखाया है।मां अगर डांट से बचाकर हमें अपने आंचल में छुपा ती है तो वहीं पर पिता हमें डांट कर समाज में खुलकर जीना सिखाता हैमां अगर बुराइयों की बरसात से अपने बच्चे को बचाकर किसी झोंपड़ी में सर छुपाती है तो वहीं पर पिता उस चौकड़ी की छत बनकर बच्चे की बुराई की बरसात से रक्षा करता हैमगर उंगली पकड़कर बच्चे को चलना सिखाती है तो वहीं पर पिता बच्चे को अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाता है।मां अगर बच्चे को