राजेंद्र जी एक साधारण किसान परिवार से थे। बहुत कम उम्र में उनके पिता का निधन हो गया तो बड़ा बेटा होने के कारण सारी जिम्मेदारी उनके कंधों पर ही आ गई। अपना मां का हाथ बटाने के लिए उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और सारा ध्यान खेती-बाड़ी में लगा दिया। अपनी सूझबूझ व व्यवहार कुशलता के कारण जल्द ही उन्होंने तरक्की कर ली। अपनी बहनों की शादी अच्छे घर में की। बेटियों की शादी के बाद अच्छी सी लड़की देख कर राजेंद्र की मां ने उसकी शादी भी कर दी। राजेंद्र के दो बेटा वह एक बेटी हुए। अपनी पढ़ाई