नानी तुमने कभी प्यार किया था?भाग-३मैं हमेशा उसको सुनना चाहती थी। मेरा सम्बोधन धीरे-धीरे आदरसूचक होने लगा था ।मुझे बहुत से क्षण याद हैं जब उसको देखते ही मेरे कदम रूक जाते थे । उनका लेक्चर , भैतिक रसायन पर , धाराप्रवाह लिये था । वह कण की गति को समीकरण में बाँध रहा था और मैं आवाक हो , उनके स्नेहिल स्वभाव की गति देख रही थी। कण की गति का तरंग और कण के रूप में सुन्दर विवेचना उसने की थी । लेक्चर के बाद, मैं उसे बधाई देना चाहती थी , लेकिन वह अपने साथियों के साथ बाहर आ